वाराणसी डीएम साहब..! वर्ष 1883-84 के दस्तावेज़ बता रहे है कि ये मौजा रामापूरा की अराजी कब्रिस्तान है, फिर आखिर मजिस्ट्रेट साहब फ़ोर्स के साथ कब्रिस्तान से रास्ता कैसे निकाल रहे है ?

तारिक आज़मी
वाराणसी: वाराणसी के लक्सा थाना क्षेत्र स्थित कब्रिस्तान नीब गुलर अचानक चर्चा में उस समय आ गई जब सुबह से राजस्व अधिकारी भारी पुलिस बल के साथ कब्रिस्तान पर एक गेट बंद कर कब्रिस्तान से रास्ता निकालना शुरू कर दिए। शहर में यह खबर एक सनसनी की तरह फ़ैल गई और मुस्लिम समाज के लोगो का भी जमावड़ा मौके पर होने लगा। भारी पुलिस बल की मौजूदगी में हो रहे इस कार्य पर मुस्लिम समाज ने आपत्ति जताया, मगर बात तो इतनी है कि सुनेगा कौन?
बहरहाल इस कब्रिस्तान के राजस्व रजिस्टर की वाट करे तो कब्रिस्तान समिति के अधिवक्ता एड0 आमिर हफीज ने हमको दस्तावेज़ मुहैया करवाते हुवे बताया कि 1291 फसली यानि वर्ष 1883-84 में रामापूरा मौजा स्थित अराजी नम्बर 208, 210 कब्रिस्तान है और 209 दोनों कब्रिस्तानो को जोड़ने का रास्ता बतौर कब्रिस्तान दर्ज है। एड0 आमिर हफीज द्वारा हमको उपलब्ध करवाए गए खसरा में भी यह साफ़-साफ़ दिखाई भी दे रहा है। वही वर्ष 1945-50 तक के टैक्स रजिस्ट्रेशन में भी यह कब्रिस्तान दर्ज है। अधिवक्ता आमिर की माने तो इसी व्यक्तिगत कब्रिस्तान के रास्ते अराजी नम्बर 209 से रास्ता निकाल कर अराजी नंबर 208 पर प्रशासन कब्ज़ा करवा रहा है।
एड0 आमिर हफीज ने हमसे बातचीत में बताया कि सब कुछ ठीक था। तीनो अराजी कब्रिस्तान के तौर पर दर्ज थी। जिसमे अराजी नंबर 209 का इस्तेमाल कब्रिस्तान कमेटी के द्वारा रास्ते के तौर पर किया जा रहा है। एड0 आमिर ने बताया कि अचानक ही बिना किसी साक्ष्य अथवा किसी दस्तावेज़ के वर्ष 2009 अराजी नम्बर 208 पर बलभद्र दास का नाम दर्ज हो गया और जबकि असली नवैय्यत के अनुसार वर्ष 1883-84 में उक्त कब्रिस्तान की देख रेख करने वाले के तौर पर बुलाकी कुवर का नाम दर्ज था, जिनके द्वारा बाद में ज्ञानी पुत्र अज्ञात को इस कब्रासन की देख रेख करने का काम दिया गया था।
एड0 आमिर ने बताया कि वर्ष 2009 में बलभद्र का नाम दर्ज होने की जानकारी मस्जिद कमेटी को नहीं मिली जबकि तीनो अराजी पर स्थित कब्रिस्तान उत्तर प्रदेश सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड में वक्फ संख्या 2400/वाराणसी के तौर पर दर्ज है। वक्फ बोर्ड में दर्ज कमेटी के अध्यक्ष अब्दुल अज़ीम है और सचिव मोहम्मद सलीम है।
इसके बाद अचानक ही अरजी पर अभिशेख खन्ना वल्द गिरधर कुमार का नाम दर्ज होने के बाद मामले की जानकारी आई जिसके खिलाफ नाम निरस्त करने का वाद अदालत में दाखिल है।
एड0 आमिर ने बताया कि इसी बीच अचानक ही अभिषेक खन्ना ने एक प्रार्थना पत्र जिलाधिकारी को सौप दिया जिस पर सिटी मजिस्ट्रेट को जांच हेतु निर्देशित हुआ। मौके पर पहुचे सिटी मजिस्ट्रेट ने मामले में जाँच किया जिसके बाद उनको दस्तावेज़ उनके दफ्तर में दिखाया गया और वाद लंबित होने की जानकारी भी दे दिया गया। मगर न जाने किसके आदेश पर आज भारी पुलिस बल के साथ राजस्व अधिकारी मौके पर पहुचे और उन्होंने कब्रिस्तान की संपत्ति पर अवैध रूप से रास्ता निकालना शुरू कर दिया, तथा कब्रिस्तान का एक रास्ता बंद कर दिया, साथ ही अराजी नम्बर 208 पर कब्ज़ा करवाया जा रहा है।
स्थानीय नागरिको का कहना है कि कतिपय हिंदूवादी संगठनो के इशारे पर पुलिस बल की मौजूदगी में यह काम हो रहा है। हम दस्तावेज़ प्रस्तुत कर रहे है, मगर हमारी सुनवाई केवल हिंदूवादी संगठनो के दबाव में नहीं हो रही है। स्थानीय नागरिको का कहना है कि समस्त दस्तावेज़ बताते है कि यह कब्रिस्तान है, मगर प्रशासन हमारी सुन नहीं रहा है। आखिर हम जाए तो जाए कहा और फ़रियाद किससे लगाये। मामले को लेकर इलाके के मुस्लिम समाज में भारी रोष और उदासी है।
यही नहीं एड0 आमिर का दावा है कि कूट रचित दस्तावेजों के सहारे वर्ष 2009 में कब्रिस्तान पर अपना नाम चढ़वाने वाले के साथ फिलहाल राजस्व विभाग खड़ा दिखाई दे रहा है, जो पूरी तरीके से अल्पसंख्यक वर्ग पर ज़ुल्म और ज्यादती है। हम मामले में अदालत का सहारा लेंगे।