तारिक आज़मी की कलम से……हम तो टूट गए थे एक आशियाँ बनाने में, या रब तुझे दया न आई मेरा नामो निशाँ मिटाने में.
वाराणसी के शक्कर तालाब और नक्खी घाट में बाढ़ का कहर
तारिक आज़मी.
वाराणसी. इंसान जितना भी
मजबूत क्यों न हो जाए, हम जितने भी हाईटेक क्यों न हो जाए मगर जब प्रकृति की
निगाहें टेढ़ी होती है तब सिर्फ सर्व शक्तिमान की ही याद आती है. उस सर्वशक्तिमान
को आप ईश्वर, अल्लाह, भगवान कुछ भी कहे, जब वह कहर बरपाने पर आता है तो जाती धर्म
की परिधि से ऊपर इंसान पर ही कहर बरपाता है. आज पूरा प्रदेश ही लगभग बाढ़ से जूझ
रहा है. बाढ़ की हालत से हम आपको कई दिनों से रूबरू करवाते रहे है, आज से हम आपको
वीडियो क्लिप के साथ रोज़ ही बाढ़ के इस कहर से अवगत करवाते रहेगे.
मजबूत क्यों न हो जाए, हम जितने भी हाईटेक क्यों न हो जाए मगर जब प्रकृति की
निगाहें टेढ़ी होती है तब सिर्फ सर्व शक्तिमान की ही याद आती है. उस सर्वशक्तिमान
को आप ईश्वर, अल्लाह, भगवान कुछ भी कहे, जब वह कहर बरपाने पर आता है तो जाती धर्म
की परिधि से ऊपर इंसान पर ही कहर बरपाता है. आज पूरा प्रदेश ही लगभग बाढ़ से जूझ
रहा है. बाढ़ की हालत से हम आपको कई दिनों से रूबरू करवाते रहे है, आज से हम आपको
वीडियो क्लिप के साथ रोज़ ही बाढ़ के इस कहर से अवगत करवाते रहेगे.
आइये आज आपको लिए
चलते है बाढ़ प्रभावित क्षेत्र शक्कर तालाब और नक्खी घाट की स्थिति से अवगत करवाते
है. जैतपुरा थाना क्षेत्र के शक्कर तालाब, नक्खीघाट इस समय बाढ़ के प्रकोप से जूझ
रहा है. वरुणा के तटवर्ती क्षेत्र का यह इलाका हिन्दू मुस्लिम एकता की मिसाल बन कर
एक घनी आबादी वाला इलाका है. सपा के क्षेत्रिय सभासद डॉ इम्तियाज़ुद्दीन ने हमको
बताया की उनका सम्पुर्ण वार्ड ही बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है और पुरे वार्ड हेतु केवल
4 नौकाये प्रदान की गई है. वही क्षेत्रिय नागरिको ने बताया कि क्षेत्र में केवल एक
ही नौका है जो जिसके कारण आवागमन में असुविधा होती है. नौका चालक के अनुसार वह
सुबह 5 बजे से रात 7 बजे तक नौका चालन करता है. रात को अँधेरे के कारण नौका गलियों
से नहीं जा पाती है, क्षेत्र में बिजली सप्लाई बंद कर दी गई है.
चलते है बाढ़ प्रभावित क्षेत्र शक्कर तालाब और नक्खी घाट की स्थिति से अवगत करवाते
है. जैतपुरा थाना क्षेत्र के शक्कर तालाब, नक्खीघाट इस समय बाढ़ के प्रकोप से जूझ
रहा है. वरुणा के तटवर्ती क्षेत्र का यह इलाका हिन्दू मुस्लिम एकता की मिसाल बन कर
एक घनी आबादी वाला इलाका है. सपा के क्षेत्रिय सभासद डॉ इम्तियाज़ुद्दीन ने हमको
बताया की उनका सम्पुर्ण वार्ड ही बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है और पुरे वार्ड हेतु केवल
4 नौकाये प्रदान की गई है. वही क्षेत्रिय नागरिको ने बताया कि क्षेत्र में केवल एक
ही नौका है जो जिसके कारण आवागमन में असुविधा होती है. नौका चालक के अनुसार वह
सुबह 5 बजे से रात 7 बजे तक नौका चालन करता है. रात को अँधेरे के कारण नौका गलियों
से नहीं जा पाती है, क्षेत्र में बिजली सप्लाई बंद कर दी गई है.
सभासद द्वारा
हमको नौका की सुविधा प्रदान करवाई गई. बाढ़ पीडित क्षेत्र में जाने के बाद वह की
विसम परिस्थितियों से हम अवगत हुवे. काफी मकान ऐसे थे जप पुरे डूब चुके थे, परिवार
की अधिकतर महिलाओ बच्चो को लोगो ने राहत कैम्प में भेज दिया है परन्तु ऐसी स्थिति
में चोरो के आतंक के कारण लोग घर नहीं छोड़ रहे है. जनता से बातचीत करने पर ज्ञात
हुआ कि क्षेत्र में स्वयंसेवी संस्थाओ के द्वारा तो सहायता प्रदान की जा रही है और
खाने पीने का सामन मुहैया करवा दिया जाता है, परन्तु सरकारी किसी प्रकार की सहायता
उनको नहीं मिल पा रही है. इस बाढ़ की भयावह स्थिति में सबसे ज्यादा अगर कोई
प्रभावित है तो वह वो परिवार है जिनके घर काफी सकरी गलियों में है जहा नौका नहीं
जा सकती है.
हमको नौका की सुविधा प्रदान करवाई गई. बाढ़ पीडित क्षेत्र में जाने के बाद वह की
विसम परिस्थितियों से हम अवगत हुवे. काफी मकान ऐसे थे जप पुरे डूब चुके थे, परिवार
की अधिकतर महिलाओ बच्चो को लोगो ने राहत कैम्प में भेज दिया है परन्तु ऐसी स्थिति
में चोरो के आतंक के कारण लोग घर नहीं छोड़ रहे है. जनता से बातचीत करने पर ज्ञात
हुआ कि क्षेत्र में स्वयंसेवी संस्थाओ के द्वारा तो सहायता प्रदान की जा रही है और
खाने पीने का सामन मुहैया करवा दिया जाता है, परन्तु सरकारी किसी प्रकार की सहायता
उनको नहीं मिल पा रही है. इस बाढ़ की भयावह स्थिति में सबसे ज्यादा अगर कोई
प्रभावित है तो वह वो परिवार है जिनके घर काफी सकरी गलियों में है जहा नौका नहीं
जा सकती है.
आपको बताते चले
कि प्रलाकारी मुद्रा में आ चुकी वरुणा के तटवर्ती क्षेत्रो हेतु प्रशासन ने कुल 26
नौकाये सेवा में लगे गई है. वही जानकारों की माने तो यह नौकाओ की संख्या ऊंट के
मुह में जीरे के बराबर है. वरुणा का तटवर्ती इलाका काफी बड़ा और घनी आबादी वाला हो
चूका है. पुरे भ्रमण में हमको दो स्वयंसेवी संस्था के लोगो द्वारा राहत सामग्री
वितरण करते कार्यकर्ता मिले. सच माना जाय तो इस क्षेत्र को समस्या से उबारने के
लिए अभी भी बहुत सहायता की आवश्यकता है.संपूर्ण भ्रमण में हमको कही भी पीएसी अथवा
एनडीआरेफ की टीम नहीं दिखाई दी. किसी भी प्रकार की घटना दुर्घटना होने की स्थिति
में क्षेत्र की क्या स्थिति होगी इसका अंदाजा आप लगा सकते है. अगर एक वाक्य में
बात की जाय तो क्षेत्र प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार ही नज़र आया. नौका में किसी भी
प्रकार की सुरक्षा की व्यवस्था नहीं थी. किसी प्रकार की कोई ट्यूब अथवा सेफ्टी
बेल्ट नहीं दिखाई दी. नौका चालक ने हमको बताया कि हम यहाँ आदेशानुसार अपनी नौका
लेकर आये है इसके अतिरिक्त किसी प्रकार की अन्य सहायता नहीं मिली है. इस पुरे सफ़र
में एक प्रकरण जो हमको आँखों में गडा वह यह था कि सुबह 5 बजे से नौका चला रहे इन पिता
पुत्र हेतु किसी भी प्रकार के भोजन की व्यवस्था नहीं थी. हमारे सामने ही नौका चालक
का पुत्र उसके लिए घर से खाना लेकर आया था जिसको पहले पिता ने फिर उसके पुत्र ने
बारी बारी से नौका चलाते हुए खाया. हमको वह लम्हा याद आ गया जब चुनावों में
राजनैतिक पार्टिया पोलिंग वाले दिन बूथ पर घूम घूम कर अपने कार्यकर्ताओ को खाना
खिलाती है. आज कहा है वो राजनैतिक पार्टिया….., कहा है उनकी पुरे शहर की इकाई,
हकीकत तो यह है कि यदि सभी राजनैतिक पार्टिया जिस जोशो खरोश से अपने कार्यकर्ताओ
को चुनावों के समय बूथ पर लगाती है उसका अगर 50% भी इस बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के
लिए कर दे तो स्थिति पूर्णतः नियंत्रण में हो जाएगी.
कि प्रलाकारी मुद्रा में आ चुकी वरुणा के तटवर्ती क्षेत्रो हेतु प्रशासन ने कुल 26
नौकाये सेवा में लगे गई है. वही जानकारों की माने तो यह नौकाओ की संख्या ऊंट के
मुह में जीरे के बराबर है. वरुणा का तटवर्ती इलाका काफी बड़ा और घनी आबादी वाला हो
चूका है. पुरे भ्रमण में हमको दो स्वयंसेवी संस्था के लोगो द्वारा राहत सामग्री
वितरण करते कार्यकर्ता मिले. सच माना जाय तो इस क्षेत्र को समस्या से उबारने के
लिए अभी भी बहुत सहायता की आवश्यकता है.संपूर्ण भ्रमण में हमको कही भी पीएसी अथवा
एनडीआरेफ की टीम नहीं दिखाई दी. किसी भी प्रकार की घटना दुर्घटना होने की स्थिति
में क्षेत्र की क्या स्थिति होगी इसका अंदाजा आप लगा सकते है. अगर एक वाक्य में
बात की जाय तो क्षेत्र प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार ही नज़र आया. नौका में किसी भी
प्रकार की सुरक्षा की व्यवस्था नहीं थी. किसी प्रकार की कोई ट्यूब अथवा सेफ्टी
बेल्ट नहीं दिखाई दी. नौका चालक ने हमको बताया कि हम यहाँ आदेशानुसार अपनी नौका
लेकर आये है इसके अतिरिक्त किसी प्रकार की अन्य सहायता नहीं मिली है. इस पुरे सफ़र
में एक प्रकरण जो हमको आँखों में गडा वह यह था कि सुबह 5 बजे से नौका चला रहे इन पिता
पुत्र हेतु किसी भी प्रकार के भोजन की व्यवस्था नहीं थी. हमारे सामने ही नौका चालक
का पुत्र उसके लिए घर से खाना लेकर आया था जिसको पहले पिता ने फिर उसके पुत्र ने
बारी बारी से नौका चलाते हुए खाया. हमको वह लम्हा याद आ गया जब चुनावों में
राजनैतिक पार्टिया पोलिंग वाले दिन बूथ पर घूम घूम कर अपने कार्यकर्ताओ को खाना
खिलाती है. आज कहा है वो राजनैतिक पार्टिया….., कहा है उनकी पुरे शहर की इकाई,
हकीकत तो यह है कि यदि सभी राजनैतिक पार्टिया जिस जोशो खरोश से अपने कार्यकर्ताओ
को चुनावों के समय बूथ पर लगाती है उसका अगर 50% भी इस बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के
लिए कर दे तो स्थिति पूर्णतः नियंत्रण में हो जाएगी.
पुरे इस सफ़र के
वीडियो हेतु ऊपर youtube लिंक पर क्लीक करे.
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