चैंपियंस ट्रॉफी जाने का दुख सिर चढ़कर बोला, तोड़े दिए टीवी सेट

शबाब ख़ान
यदि ज़रा सा ग़ुमा भी होता तो दुख कम होता, लेकिन भारतीय क्रिकेट टीम की पिछली परफार्मेंस देखकर ये गुमान आखिर होता भी कैसे? ऊपर से हर वर्ल्ड लेविल टूर्नामेंट के मैच में पाकिस्तान को बार बार हरानें का रिकार्ड, यह सब देखकर समझकर किसको अंदाजा था कि दिल के यूँ टुकड़े हो जाएगे। भारतीय टीम का हर क्षेत्र में दूसरे दर्जे का प्रदर्शन देखकर भौचक काशी के कट्टर फैंस के टीवी सेट तभी बंद हो गये थे जब पाकिस्तानी टीम सबको  आश्चर्यचकित करते हुए 300 के ऊपर का आंकड़ा छू गई। लेकिन फिर भी काफ़ी आशावादी ऐसे भी थे कि उन्हे लग रहा था कि भारतीय बल्लेबाजी 339 को हासिल कर सकती थी, उसी आशावादियों की फेहरिस्त में मेरा खुद का नाम सबसे ऊपर था।

ऐसा हो चुका है, भारतीय टीम ऐसा कर सकने के काबिल है यहीं तर्क-वितर्क दिमाग में द्वंदयुद्ध कर रहा था जब भारतीय पारी की शुरुआत हुई। अपनें किसी काम के लिए ‘ईश्वर’ को याद न करने वाला मैं, अचानक ‘ईश्वर’ को याद करने लगा। मन ही मन कह डाला, ‘देखो, अपनें लिए कभी कुछ नही मॉगा, देश के लिए, मादर-ए-वतन की इज्जत के लिए मॉग रहा हूँ, इंडिया को हर हाल में जिताओ।’ लेकिन, यह मैं भूल गया था कि जब मैं उसकी नही सुनता तो वो क्या ठेंगा मेरी सुनेगा। टीवी स्क्रीन पर देखा तो एक विकेट डाउन हो चुका था। फिर हिसाब रखना मुश्किल होने लगा तो एक बार मन में आया कि हाथ में पकड़ा रिमोट दे माँरू टीवी सेट पर लेकिन बहरहाल ऐसा न करके लाल बटन पूरी ताकत से दबा दिया जैसे वो रिमोट का बटन नही कोहली का टेंटुआ हो।
घर के बाहर आया तो सड़कें गुलजार थी, लेकिन पत्रकार की ऑखों से देखा तो हर आँख में हार की टीस थी, कोई दिखाना नही चाह रहा था कि दुख है। लेकिन सबके चेहरे चीख-चीखकर कह रहे थे कि दुख है। और रहेगा। हम हरो से हारे है, किसी पीले, लाल से हार जाते तो यह हाल न होता। लेकिन जब कोई मैच की चर्चा करता तो यही कहता, और यही सुनता कि ‘चलो, खेल है हार-जीत तो लगी ही रहती है’, लेकिन इससे टीस कम न होनी थी और न हुई। हम हार गये, और हमें इसका दुख सालता रहेगा, यही सच है।
बहरहाल, चलिये काशी का भी हाल जान लें कि चैंपियंस ट्राफी के फाइनल मुकाबले में भारत की करारी हार से क्रिकेट प्रेमियों को कितना गहरा धक्का लगा है। रविवार की रात यूपी के चंदौली जिले में आधा दर्जन लोगों ने निराश होकर अपने टीवी सेट तोड़ दिए। अब तक पाकिस्तान में इस तरह के किस्से सुनने को मिलते थे लेकिन इस बार भारत में ऐसा देखने को मिला। उधर लंका से भी टीवी सेट तोड़े जाने की खबरे हैं। और क्यो न तोडें, टीवी तोड़ना ही चाहिए था।
लीग मैच में पाकिस्तान को करारी शिकस्त देने वाली टीम इंडिया का फाइनल में मुकाबला फिर से पाकिस्तान के साथ होने की बात सामने आई तो क्रिकेट प्रेमियों का दिल बल्लियों उछलने लगा। एक तरफ सीमा पर पाकिस्तान से चल रही तनातनी के बीच लोगों ने आस लगाई कि भारतीय सैनिकों के शहीद होने का बदला भारतीय क्रिकेट टीम लंदन में पाकिस्तान को रौंद कर लेगी।
नगर में मैच में जीत के बाद पटाखा फोड़ने, मिठाइया बांटने की पूरी तैयारी हो गई। शाम तीन बजे मैच शुरू हुआ तो सबकी निगाहें टीवी सेट पर चिपक गई। सबको विराट सेना पर पूरा भरोसा था। यहां तक भारतीय गेंदबाजों के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद भी विश्वास था कि रोहित, विराट, धोनी जैसे खिलाड़ी 339 रन के लक्ष्य को आसानी हासिल कर लेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
नगर से सटे कूढ़े खुर्द गांव में जितेंद्र यादव उर्फ पप्पू ने अपने घर की टीवी को तोड़कर चकनाचूर कर दिया और हो हल्ला करने लगे। गांव लोग जुटे तो मामला समझ में आया और वे भी उसका साथ देने लगे। गांव में जबरदस्त नारेबाजी सुनकर मौके पर पहुंचे क्षेत्र पंचायत सदस्य तनुज यादव बॉबी ने उन्हें समझा बुझाकर किसी प्रकार घर तक पहुंचाया। इसी तरह हृदयपुर निवासी शिवलाल यादव, नगर के चतुर्भुजपुर निवासी कुंजबिहारी, आलोक यादव ने भी अपने घर पर रखी टीवी सेट को चकनाचूर कर दिया।
उधर महमूरगंज से खबर है कि राकेश पाण्डेय नें अपनें टीवी सेट को पॉचवें तल के अपनें फ्लैट की खिड़की से फेंक दिया जो पार्किग लॉट में खड़ी एक एसयूवी के बोनट पर गिरी, जिसे लेकर हार से दुखी पाण्डेय जी और कार मालिक के बीच तूतू-मैंमैं हुई लेकिन कार मालिक भी दुखी था सो पिचके बोनट को देखकर भी वह मान गया। यह सोंचकर चुप हो गया कि यह हार भारत की पाकिस्तान से है, ऐसे में गुस्सा निकालना बनता है।

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