बलिया में श्रीराम कथा अमृत यज्ञ का कार्यक्रम शुरू

विकास रॉय

परम् पूज्य स्वामी प्रेम भूषण जी महाराज के द्वारा सुनाई जा रही है श्री राम कथा
मंत्री उपेंद्र तिवारी ने दीप प्रज्वलित कर कथा का किया शुभारम्भ

भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह और मंत्री स्वाति सिंह ने कराया है आयोजन

बलिया के टाउन डिग्री कालेज के मैदान पर निर्मित भव्य एवम आकर्षक पंडाल में बुधवार से भव्य एवम संगीतमय श्री राम कथा प्रारम्भ हुई।लगभग 25 वर्षो से श्रीराम कथा का देश व विदेशों में अपनी अमृतमय वाणी से लोकप्रिय बनाने वाले परम् पूज्य स्वामी प्रेम भूषण जी महाराज श्रीराम कथा का श्रवण करा रहे है ।
सर्व प्रथम कथा मंच पर पहुंचने पर स्वामी प्रेम भूषण जी महाराज ने गौरीशंकर , श्रीराम , मां सीता ,लक्ष्मण, भरत शत्रुघ्न जी और हनुमान जी की पूजा अर्चना की । इनके साथ ही यजमान दयाशंकर सिंह , इनके माता पिता , मंत्री उपेंद्र तिवारी , मानस परिवार सेवा समिति के बलिया इकाई प्रमुख ईश्वर दयाल मिश्र ने भी पूजन अर्चन किया । मंत्री उपेंद्र तिवारी ने दीप प्रज्ज्वलित कर कथा यज्ञ का शुभारंभ किया ।

श्रीराम कथा का आरम्भ भगवान भोले नाथ की आराधना ” कर्पूर गौरं करुणावतारं संसारं भुजगेन्द्र हारं …. से स्तुति के साथ परम् पूज्य प्रेम भूषण जी महाराज ने किया । प्रेम भूषण जी महाराज ने खांटी बलिया की भाषा में उपस्थित श्रद्धालुओं से बात करते हुवे भजनों के माध्यम से पूरे पंडाल ही नहीं आस पास के वातावरण को भी भक्तिमय बना दिया।जब आप हम राम जी के राम जी हमारे है के धुन पर ताली बजाते हुवे झूमने लगे तो सभी उपस्थित श्रद्धालु श्रोता भी झूमने लगे।
अपने मुखारबिंद से राम कथा रूपी अमृत वर्षा करते हुवे प्रथम दिवस पर श्री प्रेम भूषण जी ने सात ग्रंथ ,सात दिन और सात लोक पर चर्चा करते हुवे बताया कि भगवान की आराधना किसी भी दिन से शुरू की जा सकती है । इसी लिये गोस्वामी जी ने भी श्री राम चरित मानस में सात कांड यानी सात अध्याय बनाये है । राम चरित मानस में सातो लोको की भी चर्चा है । श्री प्रेम भूषण जी ने “जय श्रीराम जय जय राम कथा , इसे श्रवण से मिट जाती है ,सौ जन्मों की व्यथा ” के माध्यम से उपस्थित श्रोताओं को सत्संग के महत्व को बताया । आपने कहा की हर समय चारो युग मौजूद रहते है जैसे — सत्संग में अगर रहते है तो सतयुग , यज्ञ करते है तो त्रेता , पूजन करते है तो द्वापर और संकीर्तन करते है तो कलियुग होता है ।
प्रेम भूषण जी ने कहा की हम सनातन धर्म के पालन करने वालों को पांच देवो की पूजा अवश्य करनी चाहिए , अगर सम्भव न हो तो किसी भी एक देव की पूजा से भी काम चल जाता है । ये पांचों देव् है भगवान गणपति , भगवान भोलेनाथ , माता भगवती , भगवान विष्णु और प्रत्यक्ष भगवान सूर्य । हम लोग यह सोचते है कि कल क्या होगा ? लेकिन यह नही सोच सकते कि जब हम कल नही रहेंगे तब क्या होगा ?
यह सोचिये घर बनाया वह परिवार के लिये है , घोड़ा गाड़ी बच्चो के लिये खरीदी तो अपने लिये क्या किया ?अपने लिये परमार्थ का कार्य नही किया तो क्या किया । मानस मर्मज्ञ प्रेम भूषण जी ने श्रोताओं को राक्ष कथा रूपी अमृत का रस पान कराते हुवे कहा की भगवान कहते है मेरी कृपा उसी पर होती है जो परमार्थ का कार्य करता है । इतना परिश्रम क्यो कर रहे हो , मेरी भक्ति करो तुम्हारा यह लोक भी सुधर जाएगा , परलोक भी बन जायेगा ।

अपने वर्तमान को मंगलमय बनाओ , भविष्य तो अपने आप संवर जायेगा । आज मंगलमय तभी बनेगा जब परमार्थ की पूंजी हो । भगवान कहते है ” निर्मल मन जो सो मोहि पावा ” अर्थात जो निर्मल मन का होगा वही मुझको प्राप्त कर सकता है , मेरी शरण मे आ सकता है ।आपने कहा जैसा खावे अन्न वैसा होगा मन , जैसा पिये पानी वैसी निकले वाणी । लक्ष्मण जी कहते है कि भगवान श्रीराम परमार्थ की सबसे बड़ी खान है – ” राम ब्रह्म परमारथ ……अविगत अलख अनादि अनूठा । भगवान की भक्ति जगत छुड़ाती नही , अलग ले जाती है , कैसे समाज मे रहना चाहिये यह समझाती है । भगवान भक्तो के लिये फूल जैसे कोमल है तो अहंकारिर्यो के लिये पत्थर से भी कठोर है । भगवान श्रीराम सभी सामाजिक धर्मों का पालन करने वाले थे । भगवान श्रीराम ने पुत्र धर्म का निर्वहन किया , पति धर्म का किया , पिता के धर्म का निर्वहन किया , यही कारण है कि भगवान राम ,मर्यादा पुरुषोत्तम राम कहलाते है ।
भगवान श्रीराम एक बचनी है , जो कहते है वही करते है । सुग्रीव ने दोस्ती मांगी तो दोस्ती के साथ राजा बना दिया । विभीषण ने शरण मांगी , भगवान ने लंका का राज्य दे दिया । कहा कि जीवन मे एक काम अवश्य करना चाहिये वह है सत्संग । “यह चार दिनों की मेहमानी सत्संग करो सत्संग करो …भवपार उतरना है जिसको सत्संग करो सत्संग करो ।”
उपलब्धियां भगवान को समर्पित कर दो जीवन सुखमय और परलोक सुधर जाएगा । “तेरी मेहरबानी का है बोझ इतना , जिसे मैं उठाने के काबिल नही हूँ ,
मैं आ तो गया हूं मगर जानता हूं, तेरे दर पे आने के काबिल नही हूँ ..”इस भजन पर उपस्थित सभी श्रोता भावविभोर हो कर झूम उठे।

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