मध्यस्थता तो बहाना है, असली मुद्दा रामजन्म भूमि मामले को चुनाव तक टरकाना है -अविमुक्तेश्वरानन्द

अनुपम राज 

वाराणसी. अयोध्या प्रकरण में मध्यस्थ के फैसले पर स्वामी अविमुक्तारेश्वरानंद ने आज सवाल उठाते हुवे इसको चुनावी हथकंडा करार दिया है, उन्होंने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कहा है कि इस मामले में राम भक्तों के प्रश्नों पर अनुत्तरित रह रही केन्द्र और राज्य सरकार को उच्चतम न्यायालय का सहयोग मिला है। अब कम से कम चुनाव तक जनता ‘मध्यस्थ-मध्यस्थ’ खेलती रहेगी और जिम्मेदार लोग चुनावी चटनी परोसकर वोट बढ़ाते रहेंगे।

उन्होंने कहा कि लगता है न्यायाधीश इस बात से डरे हैं कि हम  हारने वाले पक्ष के क्रोध का निशाना न बन जायें।अन्यथा क्या कारण है कि इतने महत्वपूर्ण मुद्दे की अपील उच्चतम न्यायालय के समक्ष सुनवाई के लिये विगत नौ वर्षों से पड़ी है और उच्चतम न्यायालय सुनवाई को तैयार नहीं है। उक्त वक्तव्य स्वामी अविमुक्तारेश्वरानंद ने आज एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से जारी किये. ज्ञात हो कि उच्च न्यायालय के तीनों न्यायाधीशों को कुछ इसी प्रकार की धमकी खंडवा जेल से भागे कैदियों से मिली थी जिसके आधार पर तीनों को आज भी कड़ी सुरक्षा में रहना पड रहा है ।

उन्होंने कहा है कि यूँ तो उच्चतम न्यायालय ने मध्यस्थता की बात जाने किन कारणों से उठा दी है जबकि इससेे पहले के मुख्य न्यायाधीश ने जब यह बात उठाई थी तो सभी पक्षों ने लिखित रूप से असहमति जताते हुये प्रस्ताव को ठुकरा दिया था और शीघ्र सुनवाई की मांग की थी। तब पुनः इसकी क्या आवश्यकता थी? जो भी हो , अब खतरा यह है कि वार्ता के टेबल पर बैठते ही मुसलमान मस्जिद की बात करेंगे। सद्भावना के वातावरण का लाभ लेकर हिन्दू पक्ष भी उन्हें कुछ देने में अधिक आनाकानी न कर सकेंगे। ऐसे में अयोध्या में मन्दिर मस्जिद का मार्ग प्रशस्त हो जायेगा और हिन्दू अपने जीते मुकदमें को हार जायेंगे। सोचिये तब इस भूमि के लिये बलिदान दे चुके लाखों बलिदानियों को हम आप क्या मुंह दिखायेंगे?

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