बोल शाहीन के लब आज़ाद है तेरे : महज़ एक साडी ही तो मांगी थी पत्नी ने, और पति ने साडी की जगह दे दिया मौत

शाहीन बनारसी

गुस्सा, क्या लगता है आपको? महज़ गुस्सा ही तो है, पल में आता है और पल में ही ख़त्म हो जाता है। गुस्सा, जिसका नाम तो छोटा सा है, लेकिन ये तबाही बड़ी करता है। बेशक हमे पल में गुस्सा आता है मगर ये पल भर में आया गुस्सा पल दो पल में क्या कर सकता है, इसका अंदाजा भी शायद हम नहीं लगा सकते है। आपने सुना ही होगा कि छोटी चीज़ बड़ा धमाका करती है। ये गुस्सा या क्रोध भी कुछ ऐसा ही है। देखने में तो छोटा लफ्ज़ है मगर इस छोटे लफ्ज़ के आने से धमाका हमेशा बड़ा ही हुआ है। आपने ये तो जरुर ही सुना होगा कि गुस्से से हर काम बिगड़ता है और इससे कभी भी किसी का भला हो ही नहीं सकता। ये हमेशा घर को तबाह करता है लेकिन इस क्रोध और गुस्से का जो सच हम आपको बताने जा रहे है, ऐसे क्रोध और गुस्सा शायद ही आपने देखा और सुना होगा।

मामला देवरिया जिले के बरहज के पैना पूरब पट्टी गाव का है। जहाँ एक पति ने अपनी पत्नी को गुस्से में आकर गोली से मार दिया। गुस्सा भी महज़ किस बात का ? केवल पत्नी ने अपने पति से एक साड़ी की ही तो डिमांड की थी और पति ने उसको साड़ी देने के बजाय मौत की नींद सुला दिया। दोनों की शादी चार वर्ष पहले हुई थी। भटनी थानाक्षेत्र के पयासी गांव के रहने वाले अर्जुन मिश्र की पुत्री अनुराधा मिश्रा उर्फ अन्नू की शादी पैना गांव के पूरब पट्टी निवासी नरेंद्र तिवारी के साथ हुई थी। दोनों की एक वर्ष की दिव्यांग पुत्री भी है। अनुराधा को क्या पता था कि एक साडी की डिमांड पर उसके साथ उसका पति ही ऐसा कर देगा। मंगलवार की शाम इसी बात को लेकर पति-पत्नी में विवाद होने लगा और इसी बीच नरेंद्र ने गुस्से में आकर अपने पिता गंगा सागर तिवारी की बंदूक से अनुराधा को गोली मार दी। गोली लगते ही अनुराधा लहुलुहान होकर गिर पड़ी और कुछ देर बाद उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

नरेंद्र तिवारी ने गुस्से में आकर अपनी पत्नी की हत्या करके अपनी खुद की मासूम बच्ची के सिर से माँ का साया ही सिर्फ नही छीन लिया, बल्कि बाप का साया भी उसके जेल जाने से उस मासूम के सिर से उठ जायेगा। उसने क्रोधित होकर केवल अपने पत्नी के साथ ही नहीं बल्कि अपनी मासूम बेटी के साथ भी अन्याय कर दिया। उसने एक बेटी के सिर से उसके माँ का साया ही छीन लिया। उसने एक बार भी नहीं सोचा कि महज़ एक वर्ष की मासूम बच्ची वैष्णवी अपने माँ और बाप के बिना कैसे रहेगी। उसने आवेश में आकर ये तक भी नही सोचा कि उसकी बेटी का क्या होगा। महज़ एक पति-पत्नी का विवाद ही तो था जिसे शान्ति से भी सुलझाया जा सकता था। मगर क्रोध का शैतान जब सिर पर सवार हो तो कहाँ कुछ दिखाई देता है, और नरेंद्र के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है। एक पति होने के साथ-साथ एक पिता होने के नाटे भी उसने गुनाह-ए-अज़ीम किया है।

पुलिस मामले में कड़ी कार्यवाही कर रही है, ताकि एक पत्नी और उसकी एक वर्ष की मासूम बच्ची वैष्णवी के साथ हुए इस अपराध और अन्याय का उनको इन्साफ मिल सके। महज़ पल भर के गुस्से और पति-पत्नी के बीच चल रहे इस विवाद ने ख़ुशी से हँसते-खेलते इस घर को तबाह कर दिया है और सबसे ज्यादा किसी के साथ बुरा हुआ तो उस मासूम बच्ची के साथ, जिसकी कोई गलती भी नहीं थी। उसकी सिर्फ इतनी गलती थी कि उसके माँ बाप आपस में झगड़ा कर रहे थे, जिसका मतलब भी उसको अभी समझ में नही आ पायेगा। महज़ आपका एक पल का गुस्सा आपकी और आपकी अपनों की ज़िन्दगी को किस तरह से बर्बाद कर सकता है शायद इसका अंदाज़ अब नरेन्द्र को हो रहा होगा। अगर वह अपना गुस्सा पी गया होता तो आज न वो जेल में होता, न उसकी बेटी अपने पिता के जीते जी अनाथ होती और न ही उसके किस्मत से माँ की ममता खत्म होती।

लेखिका शाहीन बनारसी एक युवा पत्रकार है

इसीलिए बड़े बुजुर्गो ने संयमी रहने की बात कही है। अगर हम अपने गुस्से पर काबू पा लेते है तो बेशक हम खुद को और अपने अपनों को बड़ी मुसीबत से बचा सकते है। किसी महापुरुष ने कहा था कि एक पल का गुस्सा आपकी और आपके अपनों की ज़िन्दगी तबाह कर सकता है। इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि बड़े बुजुर्गो की कही हुई बाते गलत नही होती है। शाहीन बनारसी अपने सुधि पाठको से अनुरोध करते है कि संयमी बने और गुस्से पर नियंत्रण रखे। चंद पल का गुस्सा बहुत कुछ ख़त्म कर देता है।

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