वाराणसी: इंशोरेंस के नाम पर मुलाकात, फिर हनी ट्रैप का जाल और फिर अगवा कर हत्या, पढ़े कैसे भेलूपुर के साडी कारोबारी महमूद आलम की जान पैसो के लिए ले लिया इन ज़ालिमो ने

तारिक़ आज़मी

वाराणसी: भेलूपुर थाना क्षेत्र के अगवा किए गए साडी कारोबारी कारोबारी महमूद आलम (50) प्रकरण में पुलिस ने एक बड़ी सफलता प्राप्त करते हुवे तीन लोगो को गिरफ्तार करके मामले का खुलासा तो कर दिया है। मगर अफ़सोसजनक बात इस मामले में ये निकल कर सामने आ रही है कि महमूद आलम की अगवा करने के बाद उनकी हत्या कर दिया गया है। पुलिस ने इस अपहरण और हत्या के मामले में आरोपी आरोप कथित इंशोरेंस एजेंट महिला, उसका पति और एक अन्य युवक गिरफ्तार हुआ है। गिरफ्तार अभियुक्तों ने महमूद आलम की हत्या कर शव चुनार पुल से नदी में फेक देने की बात स्वीकार किया है।

बताते चले कि भेलपुर के गौरीगंज निवासी महमूद आलम एक साडी कारोबारी थे। विगत दिनों वह अपने घर से अपनी स्कूटी लेकर निकले और फिर वापस नही आये थे। उनके जाने के बाद उन्होंने अपने बेटो से खुद के नंबर से फोन करके किसी मुसीबत में होने का ज़िक्र करते हुवे 8 लाख रुपयों का इंतज़ाम करने को कहा था। जिसके बाद लडको को शक होने पर उन्होंने इसकी जानकारी भेलूपुर पुलिस को दिया। अपहरण की आशंका ने वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस में हडकंप मचा दिया। पुलिस आयुक्त अशोक मुथा जैन ने तत्काल इस मामले के खुलासे के लिए सर्विसलास प्रभारी अनजानी पाण्डेय के नेतृत्व में सर्विसलांस टीम तथा क्राइम ब्रांच प्रभारी सुनील कुमार के नेतृत्व में क्राइम ब्रांच तथा भेलूपुर इस्पेक्टर रमाकांत दुबे के नेतृत्व में भेलूपुर पुलिस टीम का गठन कर तीनो टीम को काम पर लगा दिया था।

इस मामले के खुलासे के लिए खुद अपर आयुक्त संतोष सिंह डीसीपी काशी राम सरीख गौतम से एक एक पल की गतिविधियों पर नज़र रख रहे थे। मामला शुरू से ही किसी महिला के जानिब इशारा कर रहा था। पुलिस टीम महमूद आलम के कदमो का निशा चुन रही थी और मामले में पहली सफलता महमूद आलम की स्कूटी बरामद होने पर मिली। स्कूटी बरामदगी के बाद शक और भी गहरा हो गया था। पुलिस ने एक एक कदमो के निशाँ से लेकर एक एक कैमरों की निगरानी और साथ ही स्कूटी मिलने की जगह का डंप डाटा तक खगालना शुरू कर दिया। सभी कुछ इकठ्ठा करते करते पुलिस अंजलि पाण्डेय उर्फ़ दिव्या सिंह, उसके पति अनिरुद्ध सिंह और उनके तीसरे साथी प्रवीण चौहान को हिरासत में लेकर जब पूछताछ शुरू किया तो जो मामला निकल कर सामने आया उसने पुलिस के हनी ट्रैप की थियरी को सच साबित किया। तीनो आरोपियों ने यह भी स्वीकार किया कि उन्होंने महमूद आलम की गला दबा कर हत्या करके उनका शव चुनार में ही पुल से नीचे नदी में फेक दिया।

घटना के सम्बन्ध में आरोपियों ने पुलिस को जो बताया वह विश्वास और विश्वासघात के बीच का फर्क ही ज़ाहिर करती है। घटना के सम्बन्ध में जैसा पुलिस ने अपने प्रेस नोट में बताया उसके अनुसार प्रवीण चौहान उर्फ़ प्रेम जो कोपा मऊ का रहने वाला था पहले शाइन सिटी में काम करता था। कंपनी के भाग जाने के बाद प्रवीण साडी का काम करने लगा। इस दरमियान उसकी महमूद आलम से जान पहचान हो गई थी और वह महमूद आलम को काफी अमीर समझता था। जबकि हकीकत ये है कि महमूद आलम काफी गरीब परिवार से सम्बन्धित था और विगत एक दशक से अधिक समय से उसने अपनी ज़िन्दगी में काफी मेहनत और मशक्कत के बाद अच्छी कमाई किया था और कारोबार भी अच्छा चल रहा था।

प्रवीण चौहान उर्फ़ प्रेम ने महमूद आलम का अपहरण कर उससे फिरौती निकालने की योजना बनाया और अपने साथ वाराणसी के चेतगंज थाना क्षेत्र स्थित बाग़ बरियार सिंह पियरी निवासी अनिरुद्ध पाण्डेय उर्फ़ अनुराग उर्फ़ अन्नू तथा उसकी पत्नी अंजलि पाण्डेय उर्फ़ दिव्या सिंह को मिलाया। प्लान के तहत दालमंडी से एक नया मोबाइल खरीदा और फिर एक नया फर्जी आईडी पर सिम खरीद कर उसको नए मोबाइल में लगाया तथा दिव्या को महमूद आलम से फोन पर इंशोरेंस के लिए संपर्क करवाया। दोनों के बीच संपर्क होने के बाद व्हाट्सएप और फोन पर कुछ दिन तक बातचीत हुई और महमूद आलम को एक प्रकार से हनी ट्रैप में फसाया गया। महमूद आलम धीरे धीरे करके दिव्या के हनी ट्रैप के जाल में फंस गए।

अभियुक्तों ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि घटना के दिन प्रेम चौहान अपनी एक्सयुवी कार लेकर बनारस आता है और गाडी में दिव्या तथा अनिरुद्ध को बैठता है। दिव्या महमूद आलम को फोन करके बीएचयु स्थित विश्वनाथ मंदिर बुलाया जहा से उन्हें दिव्या ने अपनी गाडी में बैठा लिया। महमूद आलम के बैठने के बाद सबने उनके हाथ पैर बाँध दिया और गाडी बरेका से रिंग रोड होते हुवे जौनपुर रोड पर पहुचे तथा फूलपुर के पास अँधेरा होने पर गाडी रोक कर महमूद आलम से 20 लाख की मांग किया। महमूद आलम ने उतना न होने की बात कहा तो मामला 8 लाख पर तय हुआ जहा से महमूद आलम ने अपने बेटो को फोन करके पैसो का इंतज़ाम करने को कहा और फोन फिर सबने बंद कर दिया। जिसके बाद गाडी बाबतपुर के तरफ आई और सबने जोर ज़बरदस्ती एटीएम पिन पूछ कर महमूद आलम के एटीएम से 90 हजार रुपया निकाला। इसके बाद चंदवक की तरफ गए और फोन वही गोमती नदी में फेक कर रिंग रोड से आखरी होते हुवे चुनार के पास गंगा नदी पर पहुच कर दुपट्टे और चार्जर के तार से गला दबा कर महमूद आलम की हत्या कर दिया तथा शव वही गंगा में फेक दिया।

आरोपियों ने पुलिस को बताया कि वह उसके बाद रामनगर होते हुवे वापस पांडेयपुर की तरफ आये। जहा राम नगर से उन्होंने एटीएम से फिर एक बार 90 हज़ार निकाला। इसके बाद पांडेयपुर में अनिरुद्ध और दिव्या को छोड़ कर प्रेम अपनी गाडी लेकर मऊ अपने घर गया, रास्ते में उसने 10 हज़ार उसी एटीएम कार्ड से निकाला और रास्ते में वह कार्ड तोड़ कर फेक दिया। पुलिस ने आज अदालत में पेश करने के पहले सभी तीन अभियुक्तों को मीडिया के सामने प्रस्तुत किया और मामले के खुलासे की जानकारी दिया। अपर पुलिस आयुक्त संतोष सिंह ने बताया कि अभियुक्तों की निशानदेही पर गोताखोरों की मदद से शव तलाशने का काम जारी है। समाचार लिखे जाने तक पुलिस को शव नही मिला है। गिरफ्तार अभियुक्तों में अनिरुद्ध सिंह की पुरानी क्राइम हिस्ट्री है और वह मऊ जनपद में 5 बार तथा वाराणसी के सिगरा थाना क्षेत्र से एक बार जेल पहले भी जा चूका है। उसके ऊपर कुल 6 मुक़दमे विचाराधीन है जिनमे वह ज़मानत पर है और इन अपराधिक मामलो में 2 हत्या के प्रयास का मामला है। पुलिस ने साडी कारोबारी के एटीएम से निकले गए कुल रकम में से एक लाख 73 हजार नगद, घटना में प्रयुक्त एक्सयुवी कार और अन्य सामग्री तथा आला-ए-क़त्ल के तौर पर वह दुपट्टा बरामद कर लिया है, जिससे क़त्ल होना बताया गया है।

दूसरी तरफ कारोबारी के परिजनों में उनकी हत्या हो जाने की खबर आने के बाद से कोहराम मच गया है। आसपास इलाकों में मातम जैसा माहोल है। एक साडी कारोबारी जो अपनी और अपने बच्चो की मेहनत से आगे बढा और कामयाबी हासिल किया, उसको देख कर उसकी दौलत को लूटने का ऐसा मंसूबा बना कि उसके बच्चे यतीम हो गये। इंशोरेंस के नाम पर महिलाओं को सामने लाकर हनी ट्रैप जैसी घटना का भी सत्य सामने आ गया। दिव्या किसी निजी बैंक की इंशोरेंस एजेंट है यह भी बताया जा रहा है। मगर पुलिस ने इस बात की पुष्टि नही किया है।

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