महाराष्ट्र में क्या होगा फिर सियासी उथल पुथल, विधानसभा अध्यक्ष ने नोटिस जारी कर शिंदे गुट के 40 और उद्धव ठाकरे गुट के 14 विधायकों से पूछा कि जवाब दे, क्यों न विधानसभा सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दे?’

What will happen in Maharashtra again political upheaval, Assembly Speaker issued a notice asking 40 MLAs of Shinde group and 14 MLAs of Uddhav Thackeray group to answer, why not disqualify them from assembly membership?

तारिक़ आज़मी

महाराष्ट्र में सियासी उथल पुथल दुबारा शुरू होने की संभावनाए दिखाई दे रही है। बीते कुछ दिनों से यहाँ की सियासत में जारी उथल-पुथल शायद अब और जोर पकड़ कर कोई ‘ब्रेकिंग न्यूज़’ बन सकती है। क्योकि इस सियासत में जारी उथल पुथल के बीच महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष ने शिंदे और उद्धव ठाकरे गुट के विधायकों को नोटिस जारी किया है। विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने आज शनिवार को बताया कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के 40 विधायकों और उद्धव ठाकरे गुट के 14 विधायकों को नोटिस जारी कर विधानसभा सदस्यता से अयोग्यता पर जवाब मांगा गया है।

यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है, जब नार्वेकर ने एक दिन पहले बयान दिया था कि उन्हें भारत निर्वाचन आयोग से शिवसेना के संविधान की एक प्रति मिल गई है और मुख्यमंत्री शिंदे सहित 16 शिवसेना विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर सुनवाई जल्द शुरू होगी। नार्वेकर ने ‘पीटीआई’ से कहा, ‘एकनाथ शिंदे नीत शिवसेना गुट के 40 विधायकों और उद्धव ठाकरे खेमे के 14 विधायकों को नोटिस जारी कर अयोग्यता पर जवाब मांगा गया है। खास तौर पर यह सब तब शुरू हुआ है जब इस सप्ताह की शुरुआत में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने उच्चतम न्यायालय का रुख कर उससे विधानसभा अध्यक्ष को अयोग्यता याचिकाओं पर शीघ्र सुनवाई करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।

विधायक सुनील प्रभु ने अविभाजित शिवसेना के मुख्य सचेतक के रूप में पिछले साल उस वक्त शिंदे और अन्य 15 विधायकों के खिलाफ विधानसभा सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने की याचिका दायर की थी, जब शिंदे गुट ने विद्रोह किया था और जून 2022 में राज्य में नई सरकार बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से हाथ मिलाया था। मुल्क की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 11 मई को अपने फैसले में कहा था कि एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने रहेंगे। अदालत ने कहा था कि वह उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार को बहाल नहीं कर सकती, क्योंकि शिंदे के विद्रोह के मद्देनजर शिवसेना नेता ने शक्ति परीक्षण का सामना किए बिना इस्तीफा देने का फैसला किया था।

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