रेरा कानून से बेख़ौफ़ है बनारस का शातिर बिल्डर अतीक गुड्डू, थाने चौकी में बनी पैठ से बच करोडो हज़म करके यह कथित सपा नेता बैठा है पुलिस कर्मियों के संरक्षण में  

तारिक आज़मी

वाराणसी। रियल इस्टेट रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट एक्ट 2016 सरकार ने लागू करके बिल्डर्स के खौफ से और उनकी दबंगई से आम ग्राहकों को बचाने के लिए सरकार ने एक बड़ा प्रयास किया। मगर हकीकत जाने तो इस कानून की ऐसे बिल्डर द्वारा धज्जियाँ कम से कम बनारस में तो उडती दिखाई दे रही है। वर्ष 2016 में रियल इस्टेट रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट एक्ट पास हुआ था। इसको रेरा नाम से पुकारा जाता है। इस कानून के तहत ग्राहकों को बिल्डर्स के अत्याचार से बचाने के प्रयास हेतु लागू किया गया था।

उपभोक्ता के हित में कानून कुछ भी बन जाए लेकिन जमीन पर बिल्डरों के गठजोड़ के आगे सब बेमानी साबित हो जाता है। रेरा कानून में कहा गया है कि बिल्डर को उपभोक्ता से लिए गए पैसे का सत्तर फीसदी हिस्सा अलग से बैंक खाते में जमा करना होगा। निर्माण कार्य में देरी और कब्जा न देने की स्थिति में खरीददार को ब्याज सहित पैसा बिल्डर को वापस करना होगा। मगर वाराणसी में गली मुहल्लों में पल रहे बिल्डर्स इस कानून को ताख पर रख देते है। वजह महज़ सिर्फ इतनी है कि इन बिल्डर्स का थाने चौकी पर अच्छा रसूख बना हुआ है।

इस कानून के बाद भी अपने सपनो का आशियाना बनाने की चाहत रखने वाले लोगो को अतीक गुड्डू जैसे लोग खून के आंसू रुला देते है। अब ताज़ा मामला ही ले ले। बिल्डर अतीक अहमद गुड्डू ने महताब से साढ़े 8 लाख रुपया फ़्लैट देने के नाम पर पेशगी रकम लिया था। जिसकी लिखा पढ़ी भी महताब मिया के पास उपलब्ध है। उनको फ़्लैट भी दिखाया गया था। महताब मिया अपने पुश्तैनी जाय्दात दे अपना हिस्सा बेच कर अपने सपनो का आशियाना बना रहे थे। मगर अतीक गुड्डू को उनके सपनो से क्या लेना देना था। वह तो सिर्फ उनकी रकम हड़प करने के मूड में ही था। खुद चिकनी चुपड़ी बाते करने के बाद महताब मिया को ऐसा चवनप्राश खिलाया कि उनके करीबियों के ज़रिये उन्हें अलर्ट करने के बावजूद भी वो अपनी ज़िन्दगी भर की कमाई अतीक गुड्डू के हाथ में थमा बैठे।

आज अरसा गुज़र गया, महताब मियाँ अपना फ़्लैट पाना तो दूर रहा बल्कि खुद अब किराय के मकान में ज़िन्दगी गुज़ार रहे है। जबकि बिल्डर अतीक उनके लाखों रुपए हजम करने के बाद भी बेफिक्र होकर घूम रहा है। ये सब कुछ तब हो रहा है जब अतीक के खिलाफ अदालत मुकदमा दर्ज करने का आदेश दे चुकी है, मुकदमा चेतगंज पुलिस ने दर्ज कर लिया है। सूत्रों के अनुसार चेतगंज थाने से लेकर पानदरीबा चौकी तक अतीक को लेकर नर्म कोना रखता है, कारण अतीक मौके-बेमौके थाने से लेकर चौकी तक छोटा-मोटा निर्माण कार्य संबंधी सेवाएं भी देता रहता है।

समाजसेवक बना बैठा अतीक गुड्डू कितना शातिर है उसकी इस हरकत से समझा जा सकता है कि शिवपुर में 80 लाख के ठगी के मामले में स्थानीय एक सिपाही से अपनी पुरानी पकड़ के द्वारा ये मामले को रफा दफा करवा रहा है। सूत्र बताते है कि पहले पानदरीबा चौकी पर तैनात रहा सिपाही आज कल शिवपुर में तैनात है। पानदरीबा के कार्यकाल के दरमियान अतीक गुड्डू का करीबी बना सिपाही अब शिवपुर के मामले में अतीक गुड्डू की पैरवी कर रहा है। सूत्र बताते है कि इसने अपनी इसी पकड़ के सहारे शिवपुर में अपने खिलाफ दर्ज केस में मामला रफा दफा करवाने की पूरी तैयारी कर रखा है। विवेचक विवेचना को आखरी पडाव देने के कगार पर है।

बताने वाले तो ये भी बताते है कि पान दरीबा चौकी के निर्माण में भी अतीक गुड्डू ने अपना योगदान ही सिर्फ नही दिया बल्कि अन्य लोगो के जन सहयोग से पुलिस चौकी का निर्माण करवा कर खुद का नाम चौकी के ऊपर टंगवा चूका था। वो तो पत्रकारों की नज़र में आने के बाद तत्कालीन एसएसपी से एक पत्रकार वार्ता में सवाल के जवाब में उनको मामला संज्ञान में आ गया और उनके निर्देशन में ऐसे बिल्डर्स के नाम चौकी के ऊपर से हटे।

तीन महीने पहले पुलिस कमिश्नर के यहां मेहताब के शिकायत पर जो जांच अतीक के खिलाफ आयी थी और आरोप जितने गंभीर और पुख्ता थे उस स्थिति में पूरे मामले को हवा-हवाई कर देना पुलिस के नीयत को भी कटघरे में खड़ा करता है। लेकिन यहां तो महताब फ्लैट पाने के लिए बीते तीन साल से बिल्डर के फेरे लगा रहा है। शातिर अतीक गुड्डू आज भी पुरे भौकाल के साथ उसी पुलिस चौकी के सामने आकर खड़ा होता है जहा पर उसके खिलाफ जाँच चल रही है। एक नही बल्कि दो दो मुकदमो में नाम आने के बाद भी बड़े गर्व से खुद को समाजसेवक बताने वाले अतीक गुड्डू के अभी काफी ऐसे मामले होंगे जो इसके दबे हुवे है। अब देखने वाली बात होगी कि क्या शाइन सिटी के राशिद नसीम की तरह इसके फरार हो जाने से पहले पुलिस इसके ऊपर कार्यवाही करती है, या फिर पुलिस इसके भी फरार होने का इंतज़ार करती है।

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