अमेरिका ने भारत में CAA को लेकर जताया चिंता, भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा ‘आंतरिक मामला है और ये भारत की समावेशी संस्कृति और मानवाधिकार के प्रति भारत की प्रतिबद्धता के तहत है’

अनुराग पाण्डेय

डेस्क: अमेरिका ने गुरुवार को कहा था कि वो नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए को लेकर चिंतित है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने दैनिक संवाददाता सम्मेलन के दौरान ये बात कही। उनसे एक रिपोर्टर ने भारत के इस कानून पर सवाल किया था। इस पर उन्होंने कहा, ‘हम नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए को लेकर चिंतित हैं। हम इस पर क़रीबी नज़र बनाए हुए हैं और ये देखेंगे कि इस कानून को कैसे लागू किया जाएगा। धार्मिक स्वतंत्रता के प्रति सम्मान और सभी समुदायों के लिए बराबरी लोकतंत्र के बुनियादी सिद्धांतों में शामिल है।’

अब इस पर भारत का भी जवाब आया है। विदेश मंत्रालय ने साप्ताहिक अमेरिका के बयान को गैर-ज़रूरी और गलत बताया है और कहा, ‘ये देश का आंतरिक मामला है और ये भारत की समावेशी संस्कृति और मानवाधिकार के प्रति भारत की प्रतिबद्धता के तहत है।’ भारत ने ये भी कहा है कि जो लोग भारत की बहुलतावाद की संस्कृति को नहीं समझते हैं, उन्हें इस बारे में लेक्चर देने की ज़रूरत नहीं है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘ये कानून 31 दिसंबर, 2014 या उससे पहले भारत आने वाले अफ़गानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के प्रताड़ित लोगों को सुरक्षा प्रदान करता है। सीएए नागरिकता देने के बारे में है न कि नागरिकता लेने के बारे में। इसे ज़रूर रेखांकित कर लेना चाहिए। ये कानून मानवीय सम्मान और मानवाधिकार के लिए है।’

उन्होंने कहा, ‘वैसे लोग जो भारत की बहुलता और आज़ादी के बाद के भारत के इतिहास के बारे में जिनकी समझ नहीं है, अच्छा है कि वो इन सब के बारे में बयान न दें। भारत ने जिस इरादे से इस कदम को उठाया है, उसके लिए भारत के सहयोगियों और शुभचिंतकों को इस देश का स्वागत करना चाहिए।’

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