हैदराबाद रेप और हत्या प्रकरण पर तारिक आज़मी की मोरबतियाँ – क्या आपको लगता है इस सड़ी हुई मानसिकता का कोई इलाज सम्भव है

तारिक आज़मी

महिला पशु चिकित्सक से एक षड़यंत्र के तहत तीन दरिंदो ने रेप किया। इसके बाद उस महिला चिकित्सक को जला डाला गया। प्रकरण में सबसे बुरा आपको तब लगा होगा जब एक मंत्री का बयान आया कि ऐसी स्थिति में उस महिला डाक्टर को डायल 100 पर फोन करना चाहिये था, मगर उसने अपनी बहन को फोन किया। मैं समझ सकता हु उनकी भी मानसिकता को क्योकि उन्हें तो सियासत करना है। इस बयान का जितना आपको बुरा लगा उतना ही मुझको भी बुरा लगा था। मगर डॉ राहत इन्दौरी साहब का एक शेर है कि सियासत में ज़रूरी है रवादारी समझता है, वह रोजा तो नही रखता मगर अफ्तारी समझता है।

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वैसे भी आप समझते है और मैं भी समझता हु कि चार दिन चर्चा उठती है और पांचवे दिन सब कुछ शांत हो जाता है। वैसे ही इन चार दिनों वाले दौर में संसद में इस मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ। अमिताभ बच्चन की पत्नी और फिल्म अदाकारा और सांसद जया बच्चन ने तो यहाँ तक कह दिया कि ऐसे लोगो की लिंचिंग कर देनी चाहिए। भले ही मैं इस इस बयान का समर्थन नही करता हु और इसको घटना से दुखी एक महिला का बयान समझ सकता हु। क्योकि संविधान को और कानून को अपना काम करना चाहिए, हम आप कानून को अपने हाथो में नहीं ले सकते है।

बहरहाल, समाज की अपनी अपनी प्रतिक्रिया का दौर जारी है। शायद कठुआ रेप केस के बाद पहली इस घटना में नियमो और कानून की जमकर धज्जिया उडी है। नियमो और कानून को ताख पर रखकर कैंडल मार्च सहित लोगो ने सोशल मीडिया पर अपनी डीपी तक रेप पीडिता मृतका चिकित्सक के फोटो की लगा डाली। कैंडल मार्च में फोटो के सामने ही रेप पीडिता का नाम लिखा कर उसके आगे मोमबत्तिया लगाने का क्रम शुरू हो गया। घटना के चंद घंटो के अन्दर ही पुरे देश को रेप पीडिता का नाम और फोटो मिल गया। मालूम नही इस फोटो की शुरुआत कहा से हुई, मगर जहा से भी हुई वह बिलकुल गलत था। पढ़े लिखे लोग जो शांति पूर्वक इस घटना का विरोध कर रहे है वह भी इस घटना में कानून की धज्जिया उड़ा बैठे। वैसे इसको समाज के अन्दर फैलाती अज्ञानता से भी आप जोड़ कर देख सकते है। भले ही इस फोटो और नाम के साथ चलने वाले विरोध की शुरुआत किसी अन्य सोच के तहत किया गया था जैसा कठुआ कांड में हुआ था। मगर गलत है वह सोच भी और लोगो का यह तरीका भी।

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अगर आप असली मुद्दे पर आये तो क्या लगता है कि समाज के एक हिस्से की सड चुकी मानसिकता का अब कोई इलाज हो सकता है। मेरा अपना मानना है कि अब इसका कोई इलाज संभव नही है। नसों में खून के साथ नफरत का ज़हर जो घोला गया था वह आज रवा है। उसमे रवानगी ही नही बल्कि एक अजीब बदबू भी आने लगी है। इस सड चुकी मानसिकता से उठने वाले जीवाणु और कीटाणु और भी लोगो को प्रभावित करने का काम कर रहे है। आपको जानकर अचम्भा होगा और आप उस मानसिकता को हो सकता है आलोचना ही नही बल्कि मन में गालिया देना शुरू कर देंगे जिस मानसिकता के गंदे इंसान जैसे दो कदमो पर चलने वाले समाज के कोढ़ रूपी लोगो ने इस दिल दहला देने वाली घटना को भी मज़हब के तराजू में तौल डाला।

सोशल मीडिया पर नफरत की सियासत

इसकी शुरुआत तो घटना के दिन से ही हो गई थी। जब नफरत की सियासत करने वालो को एक आरोपी दरिन्दे का नाम पता चला था। अजीब-ओ-गरीब किस्म के पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल होने लगे। जहा सिर्फ उनकी नफरत उस आरोपी दरिन्दे से नही बल्कि उसके नाम से ज़ाहिर होने वाले मज़हब से थी। नामो में मज़हब तलाशने वालो के मुह पर ताला तो दुसरे दिन ही लग गया था जब उनको जानकारी मिली कि जिस एक सम्प्रदाय को निशाना बना कर अपने दुसरे सम्प्रदाय के लोगो को बढ़ावा दे रहे है, बकिया के तीन आरोपियों ने नाम उसी सम्प्रदाय से है।

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इस नफरत की सियासत को लगाम तो लगी, मगर तब तक छोटे बड़े पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके थे, जो व्हाट्सअप यूनिवर्सिटी के कोर्स का हिस्सा बनकर लोगो में अपनी अज्ञानता को बढ़ावा दे रहे थे।

आप फेसबुक के एक पोस्ट का कमेन्ट बाक्स देख लीजिये, आपकी सहूलियत के लिये हमने इसका स्क्रीन शॉट बना कर दिया है। इस कमेन्ट बाक्स में जो युवक आरोपियों में एक को ही सिर्फ फांसी की सजा और बकिया को मामूली सज़ा की मांग कर रहा है लगता है आरोपी उसके रिश्तेदार है। आप इसकी गन्दी, तुच्छ और घटिया तथा सड चुकी मानसिकता को देखे। आप खुद समझे और फैसला दे कि इस सड चुके समाज के हिस्से का क्या कुछ हो सकता है। शायद बिलकुल नही हो सकता है। इस लड़के की प्रोफाइल देख कर आपको अंदाज़ हो सकता है कि शायद हाथो में पिता की कमाई का महंगा सेट हाथो में लेकर सोशल मीडिया पर गंध फैला रहा है। इसकी जानकारी और मानसिकता को आप कोस सकते है। मगर इसका कोई फायदा नही है ये केवल एक नही है। ऐसे हजारो युवक अपनी सड चुकी मानसिकता का परिचय समाज को खुल्लम खुल्ला दे रहे है और ये भी है कि किसी समझदार के पल्ले पड़ जाने पर इनको जमकर ज्ञान भी मिलता है। मगर इनकी मानसिकता ने न बदलने की कसम खा रखी है।

पोर्न साईट पर रेप पीडिता का तलाश रहे वीडियो

जी हां, जहा एक तरह हमारे समझ में घटना का खुला विरोध हो रहा है वही दूसरी तरफ एक जेनेरेशन ऐसी भी है जो पोर्न साईट पर इस रेप केस का वीडियो तलाश कर रही है। पोर्न साईट पर टॉप ट्रेंड पर हैदराबाद रेप केस से जुडा वीडियो तलाश करने वालो की भी भीड़ है। जैसे आप गूगल बाबा से किसी एक शब्द अथवा वाक्य को तलाशते है और सबसे अधिक जिस शब्द को तलाशा जाता है उसको गूगल टॉप ट्रेंड में रख देता है। वैसे ही पोर्न साईट पर भी जिस शब्द से वीडियो तलाशा जाता है वह टॉप ट्रेंड में आ जाता है। आप एक पोर्न साईट के टॉप ट्रेंड की स्क्रीन शॉट देख रहे है। देखे और बताये कि ऐसे गन्दी सोच रखने वालो को आप क्या कहेगे।

दुसरे स्क्रीन शॉट में आप देख रहे है कि फेस बुक पर पर्सनल मैसेज में एक युवक से दूसरा युवक उस रेप केस का वीडियो मांग रहा है। ये स्क्रीन शॉट सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। आप खुद समझ सकते है कि इन युवको की कैसी मानसिकता होगी। शायद इनका दिमाग अब सड चूका है जिसका इलाज संभव ही नही है। इनके इलाज के लिए अभी दवाओं का ही निर्माण नही हुआ है। इनको आप समाज का चलता फिरता कोढ़ कह सकते है जिनको बहन बेटियों की इज्ज़त तो करना दूर रहा उनकी अस्मत की भी परवाह नही है।

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ऐसे लोगो को मिली तरबियत को आप बेहतर समझ सकते है। ये तरबियत ही कुछ इस तरीके की है जो किसी की बर्बादी में भी अपना मनोरंजन तलाशते है। वैसे ऐसे युवको के माता पिता से हमारी सलाह है कि अपने बेटो की शादी जल्द से जल्द करवा दे और इश्वर, अल्लाह ऐसे युवको को जल्द से जल्द एक बेटी का बाप बना दे। कम से कम उसके बाद तो इनको बेटियों में फर्क नही समझ आएगा। वैसे सड चुकी इस मानसिकता पर खखार कर थूकने का आपका मन भी कर रहा होगा। मैं समझ सकता हु। ऐसे गन्दी सोच के लोगो का आप सामाजिक बहिष्कार करना चाहते होंगे तो आपको बता दे कि ये लोग समाज का हिस्सा ही नही है। आप ज़मीन पर भी ऐसे लोगो के लिए न थूके या फिर डस्ट बीन में भी ऐसे लोगो पर न थूके क्योकि इससे इनको फर्क नही पड़ेगा और उलटे डस्ट बिन की गन्दी होगी। ऐसे लोगो को उनके हाल पर छोड़ दे। गेट वेल सून कहने से इनके बिमारी का इलाज नही होने वाला है।

लेखक – तारिक आज़मी

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