दिल्ली: कंझावला में कार से 12 किलोमीटर तक घसीटी गई थी अंजलि, और आपका पसंदीदा चैनल उसको ही बता रहा था शराबी, पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई सामने तो उठा सवाल, जाने “आखिर क्यों ये झूठा प्रोपगंडा फैलाया गया?”

शाहीन बनारसी/शफी उस्मानी

डेस्क: दिल्ली के सुल्तानपुरी स्थित कंझावला इलाके में 1 जनवरी की तड़के 20 वर्षीय अंजलि नाम की युवती जो एक स्कूटी पर जा रही थी, तभी एक बलेनो कार ने उसको टक्कर मार दी। उसके बाद अंजलि का पैर कार के एक्सेल में फंस गया। कार ने अंजलि को करीब 12 किलोमीटर तक घसीटा और अंजलि की दर्दनाक मौत हो गई। अंजलि की मौत में सबसे दर्दनाक पहलू यह सामने आया था कि कार को तीन चार बार आगे पीछे किया गया था यानी कार से कुचलने की कोशिश हुई थी।

बड़ा सवाल दिल्ली पुलिस की कार्यशैली पर उठा था कि इस तरीके से 12 किलोमीटर तक एक युवती को कार घसीट रही थी। 12 किलोमीटर तक कई बरिकेट्स होने का दावा दिल्ली पुलिस करती है। रात्रि गश्त, पीआरवी जैसी सुविधाओं का दावा करने वाली भय मुक्त दिल्ली की बात करने वाली दिल्ली पुलिस की नज़र 12 किलोमीटर तक इस कार पर नही पड़ी यह बड़ी ही चौकाने वाली बात थी। साथ ही पुलिस ने शुरुआत में जिस दिन घटना हुई उस दिन पुलिस ने आईपीसी 304A के तहत मामला दर्ज किया था। बाद में धारा में संशोधन करके इसको अनैच्छिक हत्या के धारा में मामला दर्ज किया गया।

इस पूरे मामले में गौर करे और दिल्ली पुलिस के दावो को माने तो सामने आया कि कार को ट्रैक करने के लिए पीसीआर वैन और रात्रि गश्त इकाइयों सहित कम से कम 10 गाड़ियों को लगाया गया था, लेकिन 12 घंटे तक कार का पता नहीं लगाया जा सका था। पुलिस घना कोहरा होने की दलील दे रही थी। दूसरी तरफ कार द्वारा घसीटे जाने का सीसीटीवी फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। जिसके बाद मामले में एक और यु-टर्न आया और मीडिया ने अंजलि को ही एक तरीके से कसूरवार ठहराने का पूरा बीड़ा उठा लिया।

घटना के समय अंजलि के साथ रही उसकी मित्र निधि के हवाले से मीडिया ने रिपोर्ट्स जारी करना शुरू कर दिया कि अंजलि ने उस रात शराब पी रखी थी और गाडी ज़बरदस्ती चला रही थी।

फिर क्या था पादुकापूजन तंत्र के तहत तुरंत ख़ुफ़िया और खोजी कलमनवीसी के ऐसे ऐसे दावे पेश होने लगे कि एक बारगी तो लगने लगा कि अंजलि ही गलत थी। फलनवा कमरे में छिपा है राज़, तो ढीमकाना ने बताया ये राज़। लगा जैसे अंजलि खुद कार को पकड कर उसको घसीट रही होगी। अंजलि को शराबी और शराब के नशे में धुत होना बताने के लिए प्रोपेगंडा एक से बढ़कर एक चालू हो गया। आप और हम क्या हर कोई अंजलि को ही कसूरवार समझने लगा। वो एक शेर बड़ा उम्दा है कि “कातिल की ये दलील मुंसफ ने मान ली, कि मकतुल खुद गिरा था खंजर की नोक पर।” अब तो मकतुल अंजलि ही कसूरवार लगने लगी।

मगर कहते है झूठ के पाँव नही होते है। प्रोपेगंडा दौड़ा तो बहुत तेज़ी के साथ मगर पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने ऐसी लंगड़ी फंसा दिया कि मुह के बल गिर पड़ा। अंजलि की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि अंजलि ने शराब नही पिया हुआ था। साथ ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट में रेप जैसी घटना न होना भी सामने आया। इस खुलासे के बाद अंजलि की दोस्त निधि के भी सारे दावे झूठे साबित होना शुरू हो गए। मीडिया रिपोर्ट्स से मालूम चला कि निधि घटना के बाद अपने घर नही बल्कि किसी और के घर गई थी। इस खुलासे के बाद अंजलि की दोस्त निधि से पुलिस अब नए सिरे से पूछताछ कर रही है।

इस बीच पुलिस को जानकारी हुई कि अंजलि की लाश को घसीटने वाली कार में पांच नहीं, बल्कि चार लोग सवार थे। यह जानकारी गुरुवार (5 जनवरी) को दिल्ली पुलिस ने दी। विशेष पुलिस आयुक्त सागर प्रीत हुड्डा ने बताया कि इस मामले मे दो और संदिग्ध शामिल हैं। उन्होंने कहा, “सीसीटीवी फुटेज और कॉल डिटेल रिकॉर्ड के माध्यम से उनकी संलिप्तता स्थापित की गई है। हमें पता चला है कि आशुतोष और अंकुश खन्ना के रूप में पहचाने गए दो लोग आरोपी व्यक्तियों को बचानों की कोशिश कर रहे थे।”

अब आपको ध्यान देने वाली बात ये है कि आपका पसंदीदा अख़बार और चैनल आखिर किसको डिफेन्स कर रहा था जो इतना बड़ा झूठ का प्रोपेगंडा खड़ा कर दिया गया। दरअसल पहले नम्बर पर इसमें पादुका पूजन जयकारा शामिल होता है। पुलिस पर कोई सवालिया निशान न लगे तो मकतुल को ही खंजर के नोक पर गिरा डालो। अगर ये साबित हो जाता कि मृतका अंजलि ने शराब पिया था तो इसमें आईपीसी की धारा 304A लगती और मामले में अभियुक्तों की आसानी से ज़मानत हो जाती। दुसरे पुलिस जो “आल इज वेल” और “सब कुछ चंगा” होने का दावा दिल्ली ,में करती है वह भी सच रहे। आखिर जी हुजूरी तो मायने रखती है। फलाने “चौकी इंचार्ज साहब ने तूफानी दौरा करते हुवे पैदल गश्त किया” वाली लाबी का भी वर्चस्व कायम रहा जाता।

दूसरी सबसे बड़ी बात जो सामने गौर करने लायक है वह है अभियुक्तों के नाम। गिरफ्तार अभियुक्तों में दीपक खन्ना, मनोज मित्तल अमुत खन्ना, कृष्ण और मिथुन है। इसमें मनोज मित्तल ड्राइविंग सीट के बगल वाली सीट पर बैठा था। ये वही विंडो सीट है जिसके नीचे पहिये में अंजलि फसी थी और 12 किलोमीटर तक घसीटी गई थी। अब मनोज मित्तल कौन है इसको समझने के लिए इस पैसेज के ठीक ऊपर का फोटो गौर करे तो आपके समझ आ जायेगा आखिर पूरा मामला कहा है। “सब कुछ चंगा सी” दर्शाने के लिए और साबित करने के लिए अंजलि को शराबी घोषित करने में तो कोई कसर नही छोड़ी गई। अब जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने सब कुछ साफ़ कर दिया तो वह खोजी कहा है और क्यों नही खोज रहे है? सोचिये जिनको आप पसंद करते है वह आपके सामने सच परोस रहे है या फिर झूठ……..! क्या सच में सब कुछ चंगा सी, आल इज़ वेल।

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