कप्तान साहब! आखिर किस स्टैंड से आ रहे ये डग्गामार वाहन, नासूर बन गयी है जिला मुख्यालय पर जाम की समस्या,

दिनभर जाम से जूझने को मजबूर रहते है लोग
अवैध स्टैंडो पर नहीं लग पा रहा लगाम

अनंत कुशवाहा 

अम्बेडकरनगर। एसपी साहब ऐसे तो नहीं हो सकेगा जिला मुख्यालय पर जाम की समस्या का समाधान सड़को के किनारे लगे ठेले व खोमचे, जगह-जगह खड़े वाहन, खासकर बस स्टेशन क्षेत्र में सड़क के दोनों पटरियो पर खड़ी बसें, जाम के प्रमुख कारक बनते जा रहे है। इसके साथ ही जिला मुख्यालय पर जगह-जगह बने अवैध टैक्सी स्टैंड कोढ़ में खाज बन रहे है।

हालत यह है कि सुबह एक बार शुरू हुआ जाम दिनभर चलता रहता है। जिला मुख्यालय के एक छोर से दूसरे छोर पर चार पहिया वाहन से जाने के लिए लोगों को सोचना पड़ रहा है। जगह-जगह तैनात यातायात पुलिस कर्मी जाम से निपटने का ऐसा प्रयास करते दिखते है जो कभी समाप्त नहीं हो पा रहा है। ऐसे में एक सवाल ऐसा है जिसका जवाब किसी के पास नहीं है। सवाल है कि आखिर उपरिगामी सेतु के किनारो से बस स्टेशन पर सवारी भरकर आने वाले वाहन आखिर किस स्टैंड से आते है। यदि यह स्टैंड अवैध है तो इसका संचालन आखिर किसके इशारे पर हो रहा है। क्या यह स्टैंड खाकी वर्दी धारियो की अवैध कमाई का एक अहम अंग बन चुका है। आखिर वह कौन सा ऐसा कारण है जिसके कारण रेलवे स्टेशन के निकट लगने वाले इस अवैध स्टैंड को रोका नहीं जा पा रहा है।

सुबह से शाम तक बस स्टेशन से उपरिगामी सेतु पर चढ़ते समय उसके दोनों किनारों से वाहनो को डग्गामारी करते हुए हमेशा देखा जा सकता है। यातायात माह के दौरान भी ये डग्गामार वाहन पुलिस की नाक के नीचे से ओवर लोड सवारी भरकर गुजरते रहते है। बिना किसी स्टंैड के अवैध स्थान से संचालित हो रहे इस स्टैंड पर रोक लगाने के लिए न तो नगर पालिका प्रशासन आगे आ रहा है और न ही पुलिस विभाग। इन सबके बीच अगर कोई पिस रहा है तो वह है आम जनता। किसी भी गाड़ी के आने के बाद साबुन विभाग की गली से ये डग्गामार वाहन सवारी भरकर लाइन से एक साथ निकलते है। फिर परिणाम होता है कि बस स्टेशन पर भीषण जाम। दिनभर दौड़ने वाले यह डग्गामार वाहन जिला मुख्यालय पर जाम का सबसे प्रमुख कारण बनते जा रहे है। जिला प्रशासन ने दो दिन पूर्व चीनी मिल प्रशासन के साथ-साथ ट्रांसपोर्टरो से वार्ता कर भारी वाहनो के दिन में शहर में प्रवेश को पूर्णतया प्रतिबंधित कर दिया है लेकिन जिला प्रशासन के पास डग्गामार वाहनों पर नियंत्रण पाने के लिए संभवतः कोई ठोस रणनीति नहीं है। इसी का परिणाम है कि जाम की समस्या जिला मुख्यालय के लिए नासूर का रूप धारण कर चुका है।

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