आज से शुरू हो रहे नवरात्रि के पर्व पर जाने कैसे करे पूजा अर्चना और कैसे करे कलश स्थापना

वैदिक पंचांग  के अनुसार, बर्ष में चार बार नवरात्रि का पर्व आता है। जिसे चैत्र, आषाढ़, आश्विन व माघ मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है। इसमें चैत्र और आश्विन (शारदीय) नवरात्रि मुख्य रूप से मनाया जाता है तथा इसमें शक्ति की उपासना की जाती है। ज्ञानोदय संस्कृत महाविद्यालय कमलसागर के प्राचार्य डॉ विद्या भूषण मिश्र ने बताया कि ह्रषिकेश पंचांग के अनुसार इस बार नव सम्वत्सर जिसका नाम आनंद होगा तथा चैत्र नवरात्रि का आरम्भ 13 अप्रैल मंगलवार से हो रहा  है, और 21 अप्रैल बुधवार को दुर्गा नवमी एवम रामनवमी के साथ इसका  समापन होगा। भागवत पुराण के अनुसार मंगलवार को नवरात्रि का प्रारंभ होने से  मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आती हैं। जो देश काल के लिए विशेष शुभकारी नही है। माँ दुर्गा का घोड़े की सवारी पर आगमन देश मे प्राकृतिक विपदा व महामारी में बृद्धि एवम सत्ता में परिवर्तन का द्योतक है।

नवरात्रि में मां दुर्गा के नव रूपों की पूजा की जाती है।

  • “प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
  • तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ।।
  • पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
  • सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ।।
  • नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।!”

नव दिन तक चलने वाले नवरात्रि के पावन पर्व पर श्रद्धालु मां दुर्गा की पूजा-अर्चना, शप्तशती पाठ और बलि आदि देते हैं। देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों को अलग-अलग आराधना की जाती जिसमे नवो दिन नव स्वरूपो का ध्यान करते हुए नैवैद्य चढ़ाया जाता है। नवरात्रि का पहले दिन कलश स्थापना की जाती है। शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि का पहला दिन बहुत महत्व रखता है। इस दिन कलश स्थापना  करने का विशेष महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार कलश को भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है। इसलिए नवरात्रि के दिन देवी दुर्गा की पूजा से पहले कलश की स्थापना की जाती है।

कलश की स्थापना चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को की जाती है। इस बार प्रतिपदा तिथि -13 अप्रैल को सुबह 08:45 बजे तक समाप्त होगी। इसी समय कलश स्थापन किया जाएगा।

कलश स्थापना के लिए सबसे पहले सुबह उठकर स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर मंदिर की साफ-सफाई लाल कपड़ा बिछाएं। इस कपड़े पर थोड़े चावल रखें। एक मिट्टी के पात्र में जौ बो दें। इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें। कलश पर स्वास्तिक बनाकर इसपर कलावा बांधें। कलश में साबुत सुपारी, पैसा और अक्षत पल्लव आदि रखकर। एक नारियल लें और उस पर लाल वस्त्र लपेटकर कलावा से बांधें। इस नारियल को कलश के ऊपर पर रखते हुए देवी दुर्गा का आवाहन करें। इसके बाद दीप प्रज्वलित कर कलश की पूजा करें। नवरात्रि में देवी की पूजा के लिए सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का कलश स्थापित किया जा सकता है।

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