नजाकत शाह: जिसने जान पर खेल कर 11 पर्यटकों की बचाया पहलगाम आतंकी हमले में जान

मो0 कुमेल

डेस्क: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद मृतकों, उनके पीड़ित परिवारों और चश्मदीदों के अलावा एक और शख्स की काफी चर्चा है। नाम है नजाकत अहमद शाह। अनंतनाग के निवासी नजाकत अहमद कपड़े का व्यापार करते हैं। मंगलवार को हुवे आतंकी हमले में उन्होंने इंसानियत दिखाते हुवे अपनी जान पर खेल कर 11 पर्यटकों की हिफाज़त किया।

मंगलवार की दोपहर को जब आतंकियों ने पहलगाम में नरसंहार मचाया तो नजाकत ने हिम्मत दिखाते हुए छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग से आए 11 लोगों की जान बचाई। इतना ही नहीं, उन्होंने सभी पर्यटकों को प्राथमिकता देते हुए उन्हें सुरक्षित श्रीनगर हवाई अड्डे तक पहुंचाने का काम भी किया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पहलगाम में पर्यटकों को बचाने में लगे नजाकत अहमद अपने ताल्लुकाती आदिल हुसैन शाह की मिटटी में भी शामिल नहीं हो पाए। पर्यटकों को बचाते समय गोली लगने से उनकी मौत हो गई थी।

हमले के तीन दिन बाद नजाकत खुद सामने आए। उन्होंने बताया कि वो हर साल सर्दियों में कपड़े बेचने चिरमिरी आते हैं। वहीं इन परिवारों से उनकी जान-पहचान हो गई थी। आतंकी हमले को लेकर वो बताते हैं, ‘जो यहां आया था वो सबसे बढ़कर है। हमारे पहलगाम में ये नहीं होना चाहिए था। बदकिस्मती से ये हो गया। छत्तीसगढ़ के चिरमिरी से 11 लोग यहां घूमने आए थे। हम दो गाड़ियों में उन्हें लेकर गए थे। उन सभी को श्रीनगर, गुलमर्ग और सोनमर्ग में घुमाया। इसके बाद हम उन्हें अपने घर पहलगाम में घूमने लाए थे। अगली सुबह हम उन्हें बैरन घाटी लेकर आए। बैरन में वो सभी घूम रहे थे, तभी लगभग दो बजे एक-दो फायर की आवाज आई।’

सर्दी के मौसम में शाल बेचने वाले नजाकत शाह ने कहा कि फायरिंग की आवाज छत्तीसगढ़ के इन पर्यटकों ने भी सुनी। उन्होंने नजाकत से इसके बारे में पूछा। लेकिन उन्हें उस वक्त कुछ खास समझ नहीं आया। नजाकत बताते हैं, ‘वहां उस वक्त एक-दो हजार से ज्यादा टूरिस्ट रहे होंगे। सभी में हलचल मच गई। सभी टूरिस्ट जमीन पर लेट गए। लकी (एक टूरिस्ट) के बेटे को और एक बेटी को लेकर मैं भी नीचे लेट गया। जब फायरिंग जिपलाइन तक बढ़ी, तभी मैं लकी और उसके परिवार को लेकर एक कटी जाली के पास से निकल गया।’

नजाकत ने बताया कि यहाँ से भागते-भागते पहलगाम पहुंच गए। वहां से सभी को कार में बैठाया और होटल की तरफ निकल गए। अगले दिन सुबह नजाकत सभी को श्रीनगर छोड़कर आए। नजाकत ये भी बताते हैं कि वहां डर का माहौल था। तभी उन्होंने अपने घर में बेटियों से बात करने के लिए फोन निकाला, लेकिन वहां नेटवर्क नहीं था। नजाकत कहते हैं कि पर्यटन को इस घटना से काफी ज्यादा फर्क आएगा। उन्होंने बताया कि आदिल घोड़ा चलाता था, इस हमले में उसकी भी मृत्यु हो गई।

हमारी निष्पक्ष पत्रकारिता को कॉर्पोरेट के दबाव से मुक्त रखने के लिए आप आर्थिक सहयोग यदि करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें


Welcome to the emerging digital Banaras First : Omni Chanel-E Commerce Sale पापा हैं तो होइए जायेगा..

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *